ऐसा मंदिर, जहाँ बाइक पूजी जाती है
राजस्थान में लोक देवताओं की कमी नहीं. यहाँ पूर्वजों की जिस तरह से पूजा होती है, उसका कहीं और कोई उदहारण नहीं. नाग की पूजा भी यहाँ देवता के रूप में होती है. लेकिन मोटर साइकल की पूजा शायद ही भारत में अन्य किसी स्थान पर की जाती हो. जोधपुर- पाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली से लगभग बीस किमी दूर एक स्थान है ओम बन्ना का थान (देवरा). यहाँ बुलेट बाइक की पूजा की जाती है.
मुख्य हाइवे के पास ही स्थित यह स्थान हाल ही के दिनों में बहुत चर्चित हुआ है. सड़क के किनारे जंगल में लगभग 20-25 प्रसाद व पूजा अर्चना के सामान से सजी दुकाने दिखाई देती है और साथ ही नजर आता है भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर ओम बन्ना की एक बड़ी सी फोटो और अखंड जलती ज्योत। चबूतरे के पास ही नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साईकिल। यह वही स्थान है और वही मोटर साईकिल.
मुख्य हाइवे के पास ही स्थित यह स्थान हाल ही के दिनों में बहुत चर्चित हुआ है. सड़क के किनारे जंगल में लगभग 20-25 प्रसाद व पूजा अर्चना के सामान से सजी दुकाने दिखाई देती है और साथ ही नजर आता है भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर ओम बन्ना की एक बड़ी सी फोटो और अखंड जलती ज्योत। चबूतरे के पास ही नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साईकिल। यह वही स्थान है और वही मोटर साईकिल.
ओम बना अर्थात ओम सिंह राठौड़ (om banna) पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह जी राठौड़ के पुत्र थे, जिनका इसी स्थान पर अपनी इसी बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए 1988 में एक दुर्घटना में निधन हो गया था। कहा जाता है कि ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस ने अपनी कार्यवाही के तहत उनकी इस मोटर साईकिल को थाने लाकर बंद कर दिया लेकिन दूसरे दिन सुबह ही थाने से मोटर साईकिल गायब हो गई और तलाश करने पर मोटर साईकिल उसी दुर्घटना स्थल पर ही पाई गई। माना जाता है कि पुलिसकर्मी कई बार मोटर साईकिल को दुबारा थाने लाए किंतु हर बार सुबह मोटर साईकिल थाने से रात के समय गायब हो दुर्घटना स्थल पर ही अपने आप पहुँच जाती। आखिर पुलिस कर्मियों व ओम सिंह के पिता ने ओम सिंह की मृत आत्मा यही इच्छा समझ उस मोटर साईकिल को उसी पेड़ के पास रख दिया। यह भी कहा जाता है कि इसके बाद रात्रि में वाहन चालको को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के
उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे। वे उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुँचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देते या धीरे कर देते ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने।
आज ये स्थान हर आने जाने वाले चालक को गाडी सड़क नियमों का पालन करते हुए चलाने की सीख देता है. और ये भी बताता है कि आस्था के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता. बस मन है, जिसे देव स्वरुप मान ले तो बस मान ले ..
सो अगली बार अगर आप उदयपुर या अहमदाबाद से जोधपुर (jodhpur) की तरफ जा रहे हो तो पाली शहर से लगभग बीस किमी आगे रोहट(Rohat town , Pali district) से पूर्व इस स्थान पर अपना शीश झुकाना ना भूलें.
आज ये स्थान हर आने जाने वाले चालक को गाडी सड़क नियमों का पालन करते हुए चलाने की सीख देता है. और ये भी बताता है कि आस्था के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता. बस मन है, जिसे देव स्वरुप मान ले तो बस मान ले ..
सो अगली बार अगर आप उदयपुर या अहमदाबाद से जोधपुर (jodhpur) की तरफ जा रहे हो तो पाली शहर से लगभग बीस किमी आगे रोहट(Rohat town , Pali district) से पूर्व इस स्थान पर अपना शीश झुकाना ना भूलें.
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