रानी भटियानी मंदिर जसोल मालानी क्षेत्र सदैव ही सती, संत और शूरमाओं की खान रहा है| वीरों ने जहाँ इस भूमि को अपने रक्त से सींचा वहीं सतियों और संतों ने इसे अपनी भक्ति से पावन किया| मालानी क्षेत्र (वर्तमान बाड़मेर जिला) में जसोल ठिकाने पर रावल महेचों का शासन रहा है। एक समय में जसोल जागीर पर रावल कल्याणमल शासन करते थे। रावल कल्याणमल ने दो विवाह किए। पहला विवाह रानी देवड़ी से हुआ और दूसरा स्वरूपकंवर भटियाणी से जो आगे चल कर राणी भटियाणी नाम से प्रसिद्ध हुई, जन-जन के आस्था की केन्द्र बनी और एक लोक देवी के रूप में पूजी जाने लगी। जैसलमेर जिले के गाँव जोगीदास में ठाकुर जोगराज सिंह भाटी के यहां वि.सं. 1725 में पुत्री का जन्म हुआ जिसका नाम स्वरूप कंवर रखा गया। बालिका बचपन से ही बड़ी रूपवती और गुणवान थी। विवाह योग्य होने पर स्वरूप कंवर का विवाह जसोल । रावल कल्याणमल से होना तय हुआ। कल्याणमल ने अपना पहला विवाह तो देवड़ी से किया था जब उनसे कोई संतान न हुई तो दूसरा विवाह स्वरूप कंवर भटियाणी से किया। स्त्रियों में सोतिया डाह की भावना जन्म जात ही होती है। बड़ी रानी देवड़ी तो स्वरूप कंवर से प्रा
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जहाँ दीपक से काजल नहीं,केसर बनती है : आई माता जोधपुर के बिलाडा में नवदुर्गा अवतार श्री आई माता जी का मंदिर हैं। यह पश्चिमी राजस्थान एक का सुप्रसिद्ध मंदिर है जहाँ पूरे भारत से लोग दर्शनों के लिए आते हैं। बिलाड़ा स्थित यही वो मंदिर है जहाँ विश्व का अनोखा एवं अद्वितीय चमत्कार “अखंड केसर ज्योत” है। माता सिरवी समाज की आराध्य देवी है. वैसे तो इस मंदिर का एक-एक भाग दर्शनीय है, फिर भी समझने की दृष्टि से विवरण प्रस्तुत है- अखंड केसर ज्योत- यह “अखंड केसर ज्योत” पिछले 500 से भी अधिक वर्षों से लगातार जल रही है और इसकी लौ से काजल के स्थान पर केसर प्रकट होता है जो कि मंदिर में माताजी की उपस्थिति का अकाट्य प्रमाण है। आई माता जी की झोपड़ी- मंदिर परिसर के प्रथम तल पर आई माताजी की झोपड़ी को संरक्षित किया गया है। यह वही झोपड़ी है जहाँ आई माताजी निवास करते थे। चित्र प्रदर्शनी- मंदिर के एक भाग में आई माताजी के संपूर्ण जीवन चरित्र को दर्शाने वाली भव्य प्रदर्शनी है। यहाँ आई माताजी के जीवन वृत्त एवं विभिन्न घटनाओं को अनेक चित्रों के माध्यम से समझाया गया हैं। प्रदर्शनी के अंतिम छोर पर परम भक्त दीवान रो
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