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भक्तो माँ से सजदा ऐसा करो कि  धड़कन में माँ बसने के लिये खुद  ही आ जाऐ सांस भी लो तो माँ माँ  नाम की खुश्बू आए माँ की भक्ति का  खुमार दिल पे ऐसा छाये की बात कोई भी  हो होंठो पे पर नाम माँ ही माँ गुणगानाये 💞 माँ 💞  माँ  💞 माँ  💞 माँ  💞 माँ  💞 माँ  💞 माँ  💞
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कलयुग में शक्ति का अवतार जीण माता  जीन माता (jeen mata) के बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी मौजूद नही है फ़िर भी कहते है की माता का मन्दिर कम से कम 1000 साल पुराना है। लोक कथाओं के अनुसार जीण माता का जन्मअवतार चुरू जिले के घांघू गाँव में हुआ था। जीण माता के बड़े भाई का नाम हर्ष था । माता जीण को शक्ति का अवतार माना गया है और हर्ष को भगवन शिव का अवतार माना गया है॥ कहते है की दोनों बहन भाइयो में बहुत स्नेह था। लेकिन किसी बात पर दोनों मनमुटाव हो गया। तब जीण माता यहाँ आकर तपस्या करने लगी पीछे पीछे हर्षनाथ भी अपनी लाडली बहन को मनाने के लिए आए लेकिन जीण माता जीद्द करने लगी साथ जाने से मना कर दिया । हर्षनाथ का मन बहुत उदास हो गया और वे भी वहां से कुछ दूर जाकर वहां पर तपस्या करने लगे। दोनों भाई बहन के बीच हुई बातचीत का सुलभ वर्णन आज भी राजस्थान के लोक गीतों में मिलता है॥ भगवन हर्षनाथ का भव्य मन्दिर आज भी राजस्थान की अरावली पर्वतमाला में स्थित है। कहते दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने एक बार हर्ष पर्वत पर आक्रमण किया और पुरे मंदिरों , गुफाओं, और अनेक भवनों को क्षत विक्षत कर दिया। फ़
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हेलो म्हारो साम्हलो नी रुनीजा रा राजा भारत की इस पवित्र धरती पर समय समय पर अनेक संतों,महात्माओं,वीरों व सत्पुरुषों ने जन्म लिया है | युग की आवश्कतानुसार उन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व के बल से, दुखों से त्रस्त मानवता को दुखों से मुक्ति दिला जीने की सही राह दिखाई | १५ वी. शताब्दी के आरम्भ में भारत में लुट खसोट,छुआछुत,हिंदू-मुस्लिम झगडों आदि के कारण स्थितिया बड़ी अराजक बनी हुई थी | ऐसे विकट समय में पश्चिमी राजस्थान के पोकरण नामक प्रसिद्ध नगर के पास रुणिचा नामक स्थान में तोमर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमाल जी के घर चेत्र शुक्ला पंचमी वि.स. १४०९ को बाबा रामदेव पीर अवतरित हुए जिन्होंने लोक में व्याप्त अत्याचार,वैर-द्वेष,छुआछुत का विरोध कर अछुतोद्वार का सफल आन्दोलन चलाया | हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव ने अपने अल्प जीवन के तेंतीस वर्षों में वह कार्य कर दिखाया जो सैकडो वर्षों में भी होना सम्भव नही था | सभी प्रकार के भेद-भाव को मिटाने एवं सभी वर्गों में एकता स्थापित करने की पुनीत प्रेरणा के कारण बाबा रामदेव जहाँ हिन्दुओ के देव है तो मुस्लिम भाईयों के लिए रामसा
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जहाँ दीपक से काजल नहीं,केसर बनती है : आई माता जोधपुर के बिलाडा में नवदुर्गा अवतार श्री आई माता जी का मंदिर हैं। यह पश्चिमी राजस्थान एक का सुप्रसिद्ध मंदिर है जहाँ पूरे भारत से लोग दर्शनों के लिए आते हैं। बिलाड़ा स्थित यही वो मंदिर है जहाँ विश्व का अनोखा एवं अद्वितीय चमत्कार “अखंड केसर ज्योत” है। माता सिरवी समाज की आराध्य देवी है. वैसे तो इस मंदिर का एक-एक भाग दर्शनीय है, फिर भी समझने की दृष्टि से विवरण प्रस्तुत है- अखंड केसर ज्योत- यह “अखंड केसर ज्योत” पिछले 500 से भी अधिक वर्षों से लगातार जल रही है और इसकी लौ से काजल के स्थान पर केसर प्रकट होता है जो कि मंदिर में माताजी की उपस्थिति का अकाट्य प्रमाण है। आई माता जी की झोपड़ी- मंदिर परिसर के प्रथम तल पर आई माताजी की झोपड़ी को संरक्षित किया गया है। यह वही झोपड़ी है जहाँ आई माताजी निवास करते थे। चित्र प्रदर्शनी- मंदिर के एक भाग में आई माताजी के संपूर्ण जीवन चरित्र को दर्शाने वाली भव्य प्रदर्शनी है। यहाँ आई माताजी के जीवन वृत्त एवं विभिन्न घटनाओं को अनेक चित्रों के माध्यम से समझाया गया हैं। प्रदर्शनी के अंतिम छोर पर परम भक्त दीवान रो
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ऐसा मंदिर, जहाँ बाइक पूजी जाती है राजस्थान में लोक देवताओं की कमी नहीं. यहाँ पूर्वजों की जिस तरह से पूजा होती है, उसका कहीं और कोई उदहारण नहीं. नाग की पूजा भी यहाँ देवता के रूप में होती है. लेकिन मोटर साइकल की पूजा शायद ही भारत में अन्य किसी स्थान पर की जाती हो. जोधपुर- पाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली से लगभग बीस किमी दूर एक स्थान है ओम बन्ना का थान (देवरा). यहाँ बुलेट बाइक की पूजा की जाती है. मुख्य हाइवे के पास ही स्थित यह स्थान हाल ही के दिनों में बहुत चर्चित हुआ है. सड़क के किनारे जंगल में लगभग 20-25 प्रसाद व पूजा अर्चना के सामान से सजी दुकाने दिखाई देती है और साथ ही नजर आता है भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर ओम बन्ना की एक बड़ी सी फोटो और अखंड जलती ज्योत। चबूतरे के पास ही नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साईकिल। यह वही स्थान है और वही मोटर साईकिल. ओम बना अर्थात ओम सिंह राठौड़ (om banna) पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह जी राठौड़ के पुत्र थे, जिनका इसी स्थान पर अपनी इसी बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए 1988 में एक दुर्घटना में निधन हो गया था।
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  राठौड वंश की कुल देवी माँ नागणेची जी का इतिहास एक बार बचपन में राव धुहड जी ननिहाल गए , तो वहां उन्होने अपने मामा का बहुत बडा पेट देखा । बेडोल पेट देखकर वे अपनी हँसी रोक नही पाएं । और जोर जोर से हस पडे । तब उनके मामा को गुस्सा आ गया और उन्होने राव धुहडजी से कहा की सुन भांनजे । तुम तो मेरा बडा पेट देखकर हँस रहे हो किन्तु तुम्हारे परिवार को बिना कुलदेवी देखकर सारी दुनिया हंसती है तुम्हारे दादाजी तो कुलदेवी की मूर्ति भी साथ लेकर नही आ सके तभी तो तुम्हारा कही स्थाई ठोड-ठिकाना नही बन पा रहा है मामा के ये कडवे बोल राव धुहडजी के ह्रदय में चुभ गये उन्होने उसी समय मन ही मन निश्चय किया की मैं अपनी कूलदेवी की मूर्ति अवश्य लाऊगां । और वे अपने पिताजी राव आस्थानजी के पास खेड लोट आए किन्तु बाल धुहडजी को यह पता नही था कि कुलदेवी कौन है उनकी मूर्ति कहा है ।और वह केसे लाई जा सकती है । आखिर कार उन्होने सोचा की क्यो न तपस्या करके देवी को प्रसन्न करूं । वे प्रगट हो कर मुझे सब कुछ बता देगी । और एक दिन बालक राव धुहडजी चुपचाप घर से निकल गये ।और जंगल मे जा पहुंचे । वहा अन्नजल त्याग कर तपस्या करने